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अकबर बीरबल के किस्से - भाग 40

तलाक और मुल्ला नसरुद्दीन


एक दिन मुल्ला नसरुद्दीन गाँव के मुखिया के पास गया और बोला कि मैं अपनी पत्नी के रोज़ रोज़ के तानों से तंग आ गया और बोला कि मैं चाहता हूँ कि मैं अब उस से तलाक ले लूँ ।

मुखिया ने मुल्ला नसरुद्दीन से उसकी पत्नी का नाम पूछा तो मुल्ला नसरुद्दीन ने जवाब दिया “मैं नहीं जानता ।”

मुखिया हैरान रह गया और उसने मुल्ला नसरुद्दीन से पूछा कि तुम लोगो की शादी को कितना वक़्त हो गया है इस पर मुल्ला नसरुद्दीन ने जवाब दिया “ये कोई पांच साल से कुछ ऊपर हो गये है ।”

मुखिया ने फिर हैरान होकर पूछा इतनी लम्बी अवधि में तुम अपनी पत्नी का नाम तक नहीं जान पाए तो मुल्ला नसरुद्दीन ने सहज भाव से जवाब दिया “हाँ ये सही है मुझे नहीं पता ।”

मुखिया ने मुल्ला नसरुद्दीन से पूछा कि ऐसा क्यों है ? तो मुल्ला ने कहा वो इसलिए क्योंकि मेरा मेरी पत्नी के साथ कोई सामाजिक नाता नहीं रहा है कभी भी ।”

बेशक बहुत से लोग इस कहानी को एक मजाक ही समझने की भूल करेंगे लेकिन ऐसा नहीं है मुल्ला यंहा पर पागल नहीं हो गया है उसने बड़े ही विनोदपूर्ण ढंग से पति पत्नी के रिश्ते की गहराई को बयाँ किया है चूँकि पति पत्नी का नाता ऐसा नहीं है जिसे एक सामाजिक रिश्ते के तौर पर ही निभाया जाये जबकि यह एक एक मनुष्य की पूर्णता है जब वो एक स्त्री के साथ होता है । ये केवल एक कहानी नहीं है बल्कि जिन्दगी का एक बहुत महत्वपूर्ण सबक है बेहद संजीदगी के साथ ।

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